लेखनी प्रतियोगिता -20-Mar-2024 ग़ज़ल
ग़ज़ल
फूल बिछाते होंगे लोग तू रस्तों की नियत बताता है।
महफ़िल में नहीं है सब तेरे चुपके सेअसलियत दिखलाता है।।
झूठ फ़रेबी भरी इस दुनिया में अब तू ही सच्चा लगता है।
कर्ज़ भला उतारू कैसे तू तो छवि ख़ुदा की लगता है।।
तू ही नहीं तेरे पैरहन भी मेरे दर्द-ए-ज़ख़्म को शुकून देता है।
चलता है जब थाम के हाथ तकदीर को बल मेरी मिलता है।।
मधु गुप्ता "अपराजिता"
Gunjan Kamal
04-Apr-2024 02:15 AM
शानदार
Reply
Mohammed urooj khan
22-Mar-2024 12:23 AM
शानदार, mam
Reply
Varsha_Upadhyay
21-Mar-2024 04:45 PM
Nice
Reply